कलि कौतुक वाक्य
उच्चारण: [ keli kautuk ]
उदाहरण वाक्य
- कलि कौतुक तात न जात कही ।।
- कलि कौतुक तात न जात कही ।।
- कलि कौतुक तात न जात कहीं ।
- कलि कौतुक तात न जात कही॥
- कलि कौतुक तात न जात कही।।1।।
- तपसी धनवंत दरिद्र गृही. कलि कौतुक तात न जात कही. ”
- हम समझते हैं कि ग्रंथकार महाशय बीबी संयोगिता को (पंडित प्रतापनारायण मिश्र के कलि कौतुक रूपक वाली) शराब खारों की महफिल में भेज देते तो शराब की तारीफ में सबसे बीस संयोगिता की ही स् पीच रहती।
- संत कवि तुलसीदास ने साढ़े चार सौ वर्ष पहले अपनी कृति रामचरित मानस में कहा था “ तपसी धनवंत दरिद्र गृही, कलि कौतुक तात न जात कही ” यद्यपि तब तपस्वी और संत मोहमाया मुक्त हुआ करते थे, लेकिन तुलसीदास भविष्य दृष्टा थे और उन्होंने जो अब से साढ़े चार सौ वर्ष पहले लिख दिया वह आज प्रत्यक्ष में दिख रहा है।
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